गोदावरी इस्पात: पीड़ितों के साथ मानवीय संवेदनशीलता की मिसाल!

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गोदावरी इस्पात: पीड़ितों के साथ मानवीय संवेदनशीलता की मिसाल!
रायपुर। सिलतरा स्थित गोदावरी इस्पात फैक्ट्री में शुक्रवार की शाम हुए दुर्भाग्यपूर्ण हादसे ने भले ही 6 जिंदगियां लील ली हों, लेकिन फैक्ट्री प्रबंधन ने जिस मानवीय संवेदनशीलता का परिचय दिया है, वह छत्तीसगढ़ के औद्योगिक जगत के लिए एक नई मिसाल है। प्रबंधन ने पीड़ितों के प्रति अपना दायित्व समझते हुए तत्परता दिखाते हुए एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है।
हर पीड़ित परिवार को 46-46 लाख का भारी-भरकम मुआवजा
फैक्ट्री प्रबंधन ने श्रम संगठन (मजदूरों) के साथ आपसी सहमति के बाद सभी मृतक परिवारों को 46-46 लाख रुपये का रिकॉर्ड मुआवजा देने का ऐलान किया है। यह राशि न सिर्फ एक आर्थिक संबल देगी, बल्कि भविष्य की अनिश्चितताओं से लड़ने में भी परिवारों की मदद करेगी।
मुआवजे के साथ-साथ नौकरी और शिक्षा की गारंटी
प्रबंधन ने सिर्फ मुआवजे पर ही विराम नहीं लगाया, बल्कि प्रत्येक पीड़ित परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की भी घोषणा की है।

  • अगर परिवार में कोई सदस्य नौकरी के योग्य नहीं है, तो उसे 62 साल की उम्र तक प्रतिमाह पेंशन दी जाएगी।
  • मृतकों के बच्चों की स्कूल और उच्च शिक्षा का पूरा खर्च कंपनी वहन करेगी।
    यह कदम दर्शाता है कि गोदावरी इस्पात प्रबंधन ने सिर्फ कानूनी खानापूर्ति नहीं की है, बल्कि परिवारों के भविष्य की सुरक्षा की भी चिंता की है।
    घायलों के इलाज का पूरा खर्च, पुलिस ने शुरू की जाँच
    हादसे में घायल हुए 5 मजदूरों का इलाज चल रहा है, जिनकी देखरेख और इलाज का सारा खर्च भी प्रबंधन उठा रहा है।
    वहीं, देर रात फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 289 और 106 के तहत लापरवाही की शिकायतों की जाँच शुरू कर दी है।
    गोदावरी इस्पात प्रबंधन का यह त्वरित और बड़ा फैसला संकट की घड़ी में उद्योग जगत के सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) को मजबूती प्रदान करता है और प्रदेश के अन्य संस्थानों को भी एक सकारात्मक संदेश देता है।

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